संयुक्त राष्ट्र :म्यांमार ने कहा कि करीब 1,000 शरणार्थियों में से 508 हिंदुओं के पहले दल को बांग्लादेश से अपने घर लौटने को मंजूरी दी गई है।
म्यांमार के स्थायी प्रतिनिधि हुआ डो सुआन ने मंगलवार को वहां के हालात के बारे में सुरक्षा परिषद को सूचित करते हुए कहा कि पड़ोसी देश में रह रहे शरणार्थियों की स्वदेश वापसी की प्रक्रिया को तेज करते हुए बांग्लादेश के अधिकारियों को सूची सौंपी गई है। इस सूची में 750 मुस्लिम भी शामिल हैं।
स्वदेश वापसी की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह बांग्लादेश से समझौते के तहत 23 जनवरी से शुरू होनी थी।
उन्होंने कहा कि म्यांमार ने बांग्लादेश को सत्यापित वापसी वालों को पुनर्वास योजना के साथ आजीविका में सहायता व बुनियादी सेवाओं तक पहुंच व सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने की योजना का ब्योरा दिया है।
हालांकि, शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी ने परिषद को बताया कि म्यांमार में शरणार्थियों के लौटने के लिए अभी भी स्थिति अनुकूल नहीं है। लेकिन, उन्होंने स्वीकार किया कि बांग्लादेश में शरणार्थियों के आने में कमी आई है।
बांग्लादेश के स्थायी प्रतिनिधि मसूद बिन मोमेन ने इस बयान को काटते हुए कहा कि रोहिंग्या समुदाय के लोगों का पलायन कर उनके देश में आना जारी है और फरवरी के पहले दस दिनों में 1,500 रोहिंग्या आए हैं।
परिषद के सत्र में गहन वाद विवाद हुआ। चीन व रूस ने म्यांमार के प्रति लचीला रुख दिखाया जबकि पश्चिमी देशों व कुवैत ने म्यांमार पर जातीय सफाए का आरोप लगाया।
अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि निक्की हेली ने, जिन्होंने म्यांमार का बर्मा के रूप में जिक्र किया, कहा, सुरक्षा परिषद स्पष्ट तौर पर अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा की जवाबदेही में प्रतिक्रिया देने में विफल रही है, जिसकी वजह से उत्तरी रखाइन राज्य में सुरक्षा संबंधी चिंताएं खड़ी हुई हैं।
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म्यांमार के स्थायी प्रतिनिधि हुआ डो सुआन ने मंगलवार को वहां के हालात के बारे में सुरक्षा परिषद को सूचित करते हुए कहा कि पड़ोसी देश में रह रहे शरणार्थियों की स्वदेश वापसी की प्रक्रिया को तेज करते हुए बांग्लादेश के अधिकारियों को सूची सौंपी गई है। इस सूची में 750 मुस्लिम भी शामिल हैं।
स्वदेश वापसी की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह बांग्लादेश से समझौते के तहत 23 जनवरी से शुरू होनी थी।
उन्होंने कहा कि म्यांमार ने बांग्लादेश को सत्यापित वापसी वालों को पुनर्वास योजना के साथ आजीविका में सहायता व बुनियादी सेवाओं तक पहुंच व सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने की योजना का ब्योरा दिया है।
हालांकि, शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी ने परिषद को बताया कि म्यांमार में शरणार्थियों के लौटने के लिए अभी भी स्थिति अनुकूल नहीं है। लेकिन, उन्होंने स्वीकार किया कि बांग्लादेश में शरणार्थियों के आने में कमी आई है।
बांग्लादेश के स्थायी प्रतिनिधि मसूद बिन मोमेन ने इस बयान को काटते हुए कहा कि रोहिंग्या समुदाय के लोगों का पलायन कर उनके देश में आना जारी है और फरवरी के पहले दस दिनों में 1,500 रोहिंग्या आए हैं।
परिषद के सत्र में गहन वाद विवाद हुआ। चीन व रूस ने म्यांमार के प्रति लचीला रुख दिखाया जबकि पश्चिमी देशों व कुवैत ने म्यांमार पर जातीय सफाए का आरोप लगाया।
अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि निक्की हेली ने, जिन्होंने म्यांमार का बर्मा के रूप में जिक्र किया, कहा, सुरक्षा परिषद स्पष्ट तौर पर अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा की जवाबदेही में प्रतिक्रिया देने में विफल रही है, जिसकी वजह से उत्तरी रखाइन राज्य में सुरक्षा संबंधी चिंताएं खड़ी हुई हैं।
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