इंफाल : मणिपुर की ‘लौह महिला’ इरोम चानू शर्मिला ने मंगलवार को अपना 16 साल से जारी उपवास (अनशन) तोड़ दिया।
उपवास तोड़ने के बाद इरोम को न्यायिक हिरासत से रिहा कर दिया गया। पखवाड़े भर पहले उन्होंने उपवास तोड़ने की घोषणा की थी। इस नई शुरुआत के समय शर्मिला कुनबा लूप के बैनर तले काम करने वाले बड़ी संख्या में उनके समर्थक और महिला कार्यकर्ता मौजूद रहे। हालांकि उनकी 84 वर्षीय मां शाखी देवी यहां नहीं आईं। इस बाबत उनके भाई सिंहजीत ने बताया कि वह शर्मिला की जीत का इंतजार कर रही हैं और यह मौका तभी आएगा जब अफस्पा को हटा लिया जाएगा। उनके भाई ने कहा कि रिहा होने के बाद वे कहां जाएंगी, इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। अगर वह घर आकर हमारे साथ रहना चाहती हैं तो उनका स्वागत है। लेकिन यह फैसला पूरी तरह से उनका ही होगा।
शर्मीला के परिजन और समर्थक उनसे 26 जुलाई के बाद से मिल नहीं पाए हैं। इसी दिन उन्होंने उपवास का अंत करने और अफस्पा को हटाने की लड़ाई राजनीति में आकर लड़ने के अपने निर्णय की घोषणा की थी।
बताते चलें कि इरोम ने सैन्य बल (विशेषाधिकार) कानून (अफस्पा) को खत्म करने की मांग को लेकर 16 साल पहले उन्होंने उपवास शुरू किया था। शर्मीला को जीवित रखने के लिए कैदखाने में तब्दील हो चुके अस्पताल में उन्हें साल 2000 से ही नासिका में ट्यूब के जरिए जबरन भोजन दिया जा रहा था।