कोलकाता, 22 अगस्त आईआईएसईआर-कोलकाता की अगुवाई वाली भौतिकविदों के एक दल ने कहा कि पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य के करोना को अमेरिका के खगोलविद सोमवार को ग्रेट अमेरिकन सोलर इक्लिप्स के दौरान फूल जैसी संरचना के रूप में देख पाएंगे।
शोधकर्ताओं का कहना है कि सूर्य की करोना जैसी आकृति वाली संरचना व इसकी चुंबकीय क्षेत्र की डॉयग्नोस्टिक की पहुंच उपग्रह के लिए अंतरिक्ष के मौसम संबंधी पूर्वानुमान व जीपीएस संचालन के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
ग्रहण पूरे अमेरिकी प्रायद्वीप दिखाई देगा। यह 99 सालों में पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण है।
सूर्य गैसों के एक आवरण से घिरा है जिसे वातावरण कहते हैं। करोना सूर्य के वातावरण का बाहरी हिंस्सा होता है।
करोना अक्सर सूर्य के सतह के तेज प्रकाश की वजह से छिपा रहता है। इससे यह बिना विशेष उपकरण के दिख पाना मुश्किल होता है। हालांकि, करोना को पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान देखा जा सकता है।
भारतीय विज्ञान शिक्षा व अनुसंधान संस्थान कोलकाता के सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन स्पेश साइंस इंडिया (सीईएसएसआई)के सौर भौतिकविद और दुरहम विश्वविद्यालय के जानकारों ने दो प्रमुख हेलमेट स्ट्रीमर्स (यह पत्ती की तरह की चुंबकीय क्षेत्र से करीब नुकीली संरचनाएं होती हैं) की मौजूदगी का अनुमान लगाया है।
–आईएएनएस
शोधकर्ताओं का कहना है कि सूर्य की करोना जैसी आकृति वाली संरचना व इसकी चुंबकीय क्षेत्र की डॉयग्नोस्टिक की पहुंच उपग्रह के लिए अंतरिक्ष के मौसम संबंधी पूर्वानुमान व जीपीएस संचालन के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
ग्रहण पूरे अमेरिकी प्रायद्वीप दिखाई देगा। यह 99 सालों में पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण है।
सूर्य गैसों के एक आवरण से घिरा है जिसे वातावरण कहते हैं। करोना सूर्य के वातावरण का बाहरी हिंस्सा होता है।
करोना अक्सर सूर्य के सतह के तेज प्रकाश की वजह से छिपा रहता है। इससे यह बिना विशेष उपकरण के दिख पाना मुश्किल होता है। हालांकि, करोना को पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान देखा जा सकता है।
भारतीय विज्ञान शिक्षा व अनुसंधान संस्थान कोलकाता के सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन स्पेश साइंस इंडिया (सीईएसएसआई)के सौर भौतिकविद और दुरहम विश्वविद्यालय के जानकारों ने दो प्रमुख हेलमेट स्ट्रीमर्स (यह पत्ती की तरह की चुंबकीय क्षेत्र से करीब नुकीली संरचनाएं होती हैं) की मौजूदगी का अनुमान लगाया है।
–आईएएनएस