नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को उद्योग जगत से आग्रह किया है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद कर में हुई कटौती का फायदा उत्पादों की कीमतें घटाकर ग्राहकों को दिया जाए।
सरकार ने साथ ही जीएसटी लागू होने के बाद वस्तुओं की कीमतों और उनकी आपूर्ति पर निगरानी रखने के लिए 15 सचिवों वाली एक केंद्रीय निगरानी समिति (सीएमसी) के गठन की घोषणा भी की।राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सीएमसी की पहली बैठक के बाद यहां पत्रकारों से कहा, कीमतों में इजाफा नहीं हुआ है।
अधिया ने कहा, मेरा उद्योग जगत से अनुरोध है कि जीएसटी के तहत जिन चीजों पर कर में कटौती हुई है, उनकी कीमतें कम करें।
अधिया ने कहा कि कैबिनेट सचिव द्वारा गठित सीएमसी में सरकार के 15 विभागों के सचिवों को शामिल किया गया है, जिसे जीएसटी के लागू होने के बाद समस्याओं का सामना करने वालों के मामले की देखरेख करने का काम सौंपा गया है।
सीएमसी हर सप्ताह मंगलवार के दिन बैठक करेगी।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में उनके विभाग को जीएसटी के तहत पंजीकरण के 2,20,000 नए आवेदन मिले हैं, जिनमें से आधे आवेदनों पर काम पूरा कर लिया गया है।
अधिया ने कहा, जिन आवेदनों को निपटा लिया गया है, उनमें से 39,000 को मंजूरी भी दे दी गई है और शेष आवेदनों को अगले तीन सप्ताह में मंजूरी दे दी जाएगी, अगर राज्यों ने कुछ खास मामलों में आपत्ति नहीं की तो।
उन्होंने कहा कि सरकार बुधवार से जीएसटी निगरानी अभ्यास शुरू करने जा रही है, जिसके तहत वरिष्ठ अधिकारियों को निगरानी के लिए देश के सभी जिलों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
अधिया ने कहा कि एक संयुक्त सचिव या अतिरिक्त सचिव को यहीं चार-पांच जिलों की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जिनका केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के किसी अधिकारी के जरिए जमीन से सीधा संपर्क होगा।
जीएसटी पर कैबिनेट सचिव को अपनी रपट पेश करने के लिए 175 शीर्ष अधिकारियों को लगाया गया है।
उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव अविनाश श्रीवास्तव ने कहा कि उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने कारोबारियों, उत्पादकों और पैकर्स को एक निर्धारित कार्य-प्रणाली के तहत 30 सितंबर तक अपने पुराने स्टॉक को बदली हुई कीमतों में निपटाने के लिए तीन महीने का समय दिया है।
इस प्रणाली के तहत सवाल के घेरे में आए कारोबार को दो प्रमुख समाचार-पत्रों में वस्तुओं की नई कीमतों से संबंधित विज्ञापन देना होगा। इसके अलावा वस्तुओं के पैकेट पर नई कीमतें इस तरह प्रदर्शित करनी होंगी कि पुरानी कीमत भी दिखाई देती रहे।
जीएसटी के तहत जिन वस्तुओं की कीमतें कम हुई हैं, उनके लिए विज्ञापन देने की जरूरत नहीं होगी, लेकिन पैकेट पर कीमतों के प्रदर्शन का वही तरीका अपनाना होगा।
सरकार ने साथ ही जीएसटी लागू होने के बाद वस्तुओं की कीमतों और उनकी आपूर्ति पर निगरानी रखने के लिए 15 सचिवों वाली एक केंद्रीय निगरानी समिति (सीएमसी) के गठन की घोषणा भी की।राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सीएमसी की पहली बैठक के बाद यहां पत्रकारों से कहा, कीमतों में इजाफा नहीं हुआ है।
अधिया ने कहा, मेरा उद्योग जगत से अनुरोध है कि जीएसटी के तहत जिन चीजों पर कर में कटौती हुई है, उनकी कीमतें कम करें।
अधिया ने कहा कि कैबिनेट सचिव द्वारा गठित सीएमसी में सरकार के 15 विभागों के सचिवों को शामिल किया गया है, जिसे जीएसटी के लागू होने के बाद समस्याओं का सामना करने वालों के मामले की देखरेख करने का काम सौंपा गया है।
सीएमसी हर सप्ताह मंगलवार के दिन बैठक करेगी।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में उनके विभाग को जीएसटी के तहत पंजीकरण के 2,20,000 नए आवेदन मिले हैं, जिनमें से आधे आवेदनों पर काम पूरा कर लिया गया है।
अधिया ने कहा, जिन आवेदनों को निपटा लिया गया है, उनमें से 39,000 को मंजूरी भी दे दी गई है और शेष आवेदनों को अगले तीन सप्ताह में मंजूरी दे दी जाएगी, अगर राज्यों ने कुछ खास मामलों में आपत्ति नहीं की तो।
उन्होंने कहा कि सरकार बुधवार से जीएसटी निगरानी अभ्यास शुरू करने जा रही है, जिसके तहत वरिष्ठ अधिकारियों को निगरानी के लिए देश के सभी जिलों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
अधिया ने कहा कि एक संयुक्त सचिव या अतिरिक्त सचिव को यहीं चार-पांच जिलों की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जिनका केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के किसी अधिकारी के जरिए जमीन से सीधा संपर्क होगा।
जीएसटी पर कैबिनेट सचिव को अपनी रपट पेश करने के लिए 175 शीर्ष अधिकारियों को लगाया गया है।
उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव अविनाश श्रीवास्तव ने कहा कि उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने कारोबारियों, उत्पादकों और पैकर्स को एक निर्धारित कार्य-प्रणाली के तहत 30 सितंबर तक अपने पुराने स्टॉक को बदली हुई कीमतों में निपटाने के लिए तीन महीने का समय दिया है।
इस प्रणाली के तहत सवाल के घेरे में आए कारोबार को दो प्रमुख समाचार-पत्रों में वस्तुओं की नई कीमतों से संबंधित विज्ञापन देना होगा। इसके अलावा वस्तुओं के पैकेट पर नई कीमतें इस तरह प्रदर्शित करनी होंगी कि पुरानी कीमत भी दिखाई देती रहे।
जीएसटी के तहत जिन वस्तुओं की कीमतें कम हुई हैं, उनके लिए विज्ञापन देने की जरूरत नहीं होगी, लेकिन पैकेट पर कीमतों के प्रदर्शन का वही तरीका अपनाना होगा।