तिरुवनंतपुरम। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के चक्रवात प्रभावित इलाकों में हेलीकॉप्टर यात्रा पर हुआ खर्च ओखी चक्रवात राहत कोष से काटे जाने के प्रस्ताव पर विवाद के बीच केरल सरकार ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि खर्च की रकम को ओखी राहत कोष से नहीं बल्कि एसडीआरएफ से चुकाया जाएगा।
संस्कृति मंत्री ए.के.बालन ने यहां माकपा की एक बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि कोई रकम ओखी चक्रवात राहत निधि से नहीं ली जा रही है और सत्तारूढ़ दल भी आठ लाख का बिल नहीं चुकाने जा रहा है।
बालन ने कहा, दो तरह के कोष हैं, पहला मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष, जिसमें ओखी राहत कोष शामिल है। और दूसरा राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) जिसमें 25 फीसदी का योगदान राज्य का होता है और बाकी केंद्र का। हेलीकॉप्टर का आठ लाख का किराया एसडीआरएफ से चुकाया जाएगा न कि ओखी राहत कोष से।
मंत्री ने कहा, मुख्यमंत्री ने कुछ भी गलत नहीं किया। यह एक आम तरीका है, जिसे मुख्यमंत्री के साथ साथ प्रधानमंत्री भी किया करते हैं, कि भुगतान एसडीआरएफ से किया जाता है। यही इस मामले में भी किया जाएगा। पार्टी इस खर्च का वहन नहीं करेगी।
विपक्ष के विरोध के बाद विजयन के कार्यालय ने मंगलवार को उस आधिकारिक आदेश को रद्द करने की घोषणा की थी जिसमें 26 दिसंबर को त्रिशूर से एक चार्टड हेलीकॉप्टर के किराए को काटने की बात कही गई थी। त्रिशूर में विजयन मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पाटी की बैठक में भाग ले रहा थे। वहां से वह 30 नवंबर को चक्रवात की वजह से हुई क्षति का अध्ययन करने के लिए दिल्ली से आने वाली केंद्रीय टीम से मिलने के लिए राज्य की राजधानी गए थे।
बैठक के बाद विजयन वापस त्रिशूर लौट गए थे। उनकी सरकार ने हेलीकॉप्टर का किराया राहत निधि से काट लिया था।
विजयन के कार्यालय ने मंगलवार शाम को कहा था कि अधिकारियों को इस बात की जानकारी नहीं थी, जैसे ही उनकी जानकारी में यह बात आई आदेश को वापस ले लिया गया।
बुधवार को माकपा के राज्य सचिव कोडियारी बालाकृष्णन ने पार्टी द्वारा रकम का भुगतान करने का संकेत दिया था लेकिन गुरुवार को पार्टी की एक बैठक में शीर्ष नेताओं ने इसका कड़ विरोध किया।
विपक्षी कांग्रेस ने पार्टी की बैठक में शामिल होने के लिए अपने हेलीकॉप्टर का किराया ओखी राहत कोष से लेने के लिए विजयन के खिलाफ सतर्कता जांच की मांग की थी।
भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से ओखी राहत के लिए दी गई केंद्र निधि पर नई दिल्ली द्वारा बारीकी से नजर रखने का अग्रह किया है।