नई दिल्ली : वर्तमान में पाकिस्तान आंतरिक मामलों में तो उलझा है लेकिन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। ऐसे में भारत अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब कर उसकी हेकड़ी निकाल सकता है। साथ ही कुछ और भी ऐसे मुद्दे हैं जिसके जरिए पाकिस्तान को सबक सिखाया जा सकता है। आखिर सवाल पानी का जो है जिसे एक समझौते के तहत पाकर वो इठला रहा है। अगर वो बंद हो जाता है तो जाहिर है पाकिस्तान का होश ठिकाने आ जाएगा।
आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान का जो रुख है। उससे वो भारत समेत बाकी पड़ोसियों के लिए भी बड़ा खतरा है। खुद की लगाई आग में झुलसकर भी उसके होश ठिकाने नहीं आ रहे। यहां तक कि घर के अंदर भड़कती चिंगारी को नजरअंदाज कर वो बाहर आग लगाने की कोशिशों में कसर बाकी नहीं रखता। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि पाकिस्तान को होश में लाने का आखिर क्या तरीका हो सकता है?
पाकिस्तान की करतूतों को लेकर उसे जवाब देने की बात जोर-शोर से की जा रही है। लिहाजा कुछ ऐसे रास्ते भी अख्तियार किए जा सकते हैं। जिससे उसकी बोलती ही बंद हो जाए। मसलन इंडस वाटर ट्रीटी यानी सिंधु जल संधि, भारत के पास ये वो औजार है जिसके दम पर वो पाकिस्तान को बूंद-बूंद के लिए तरसा सकता है और इसके जरिए उसे आतंकवाद के खिलाफ सोचने पर मजबूर किया जा सकता है।
इसे सबसे उदार जल बंटवारा माना जाता है। इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट यानी मौजूदा विश्व बैंक की मध्यस्थता में 19 सितंबर 1960 को कराची में इस संधि पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने दस्तखत किए। इसके तहत भारत अपनी 6 प्रमुख नदियों का अस्सी फीसदी से ज्यादा पानी पाकिस्तान को देता है। सिंधु, झेलम और चिनाब नदी तो पूरी तरह पाकिस्तान के हवाले कर दी गई। भारत पिछले 56 साल से इस संधि को ढो रहा है।
बावजूद इसके पाकिस्तान अगर भारत के लिए नासूर बना हुआ है। तो इस संधि को रद्द कर भारत उसे लाचार बना सकता है, क्योंकि पानी बंद करने से पाकिस्तान की खेती पूरी तरह नष्ट हो जाएगी। वजह ये कि वहां की खेती बारिश पर कम नदियों के पानी पर ज्यादा टिकी हुई है। लिहाजा इसके जरिए पाकिस्तान की सारी हेकड़ी खत्म की जा सकती है। दाने-दाने को मोहताज होने की सूरत में भला वो क्या आतंकवादियों और अलगाववादियों को शह देगी?
पाकिस्तान के अंदर खुद आग लगी हुई है। बलूचिस्तान के बाद पीओके, गिलगित-बल्तिस्तान और सिंध में भी आजादी की मांग जोर पकड़ रही है। सिंध, गिलगित, पीओके और बलूचिस्तान में आजादी के नारे लगाने के अलावा ब्रिटेन में भी बलोच नेताओं के साथ मिलकर सिंधी नेताओं ने पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी कर सिंधुदेश की मांग उठाई।
जर्मनी में तो पाकिस्तान सरकार के खिलाफ बलूचिस्तान के समर्थन में बलूचियों ने रैली तक निकाली। खास बात ये रही कि रैली में बलूचिस्तान समर्थकों के हाथों में तिरंगा लहरा रहा था।
पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंच का इस्तेमाल बेहद कारगर साबित हो सकता है। बलूचिस्तान में जारी पाकिस्तान की दमन नीति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्रालय ने अपने बयान से ये जता दिया है कि वो पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब करेगा और अगर इससे भी बात नहीं बनी तो बलूचिस्तान की आजादी का भारत खुल कर समर्थन करने से भी नहीं हिचकेगा। संयुक्त राष्ट्र की सालाना बैठक में कश्मीर में मानवाधिकार का मुद्दा उठाने के लिए भारत तो पाकिस्तान के दावों की पोल खोलेगा ही। साथ ही बलूचिस्तान में क्रूरता को लेकर पाकिस्तान घेरने से भी नहीं चूकेगा। यानी ये वो रास्ते हैं जिसके जरिए भारत, पाकिस्तान के होश ठिकाने लगा सकता है।