काबुल (आईएएनएस)| तालिबान द्वारा शनिवार को काबुल में किए गए हमले में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और करीब 200 लोग घायल हो गए। इस हमले से अफगानिस्तान में हर वर्ग के लोगों को धक्का लगा है। अफगानिस्तान के विश्लेषकों का कहना है कि शनिवार का हमला पहला नहीं है और यह आखिरी भी नहीं होगा। उनका मानना है कि कट्टरवादी हथियाबंद समूह अतीत की तरह आने वाले समय में भी हमले जारी रखेंगे।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ से राजनीतिक विश्लेषक नजारी पारियानी ने रविवार को कहा, “तालिबान आतंकवादी काबुल में इस तरह के घातक हमले में दर्जनों लोगों को मार कर, एक तरफ तो वह अपने हमले की क्षमता दिखा रहे हैं और दूसरी तरफ जारी शांति प्रयासों पर भी प्रहार कर रहे हैं।”
तालिबान आतंकवादियों ने 20 जनवरी को इंटरकांटिनेनटल होटल पर हमला किया था, जिसमें अक्सर विदेशी व अफगान अधिकारी आते हैं। इसमें 14 विदेशियों सहित 22 लोगों की मौत हो गई थी और अन्य दर्जन भर से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
अमेरिका की अगुवाई वाली गठबंधन सेनाओं की अफगानिस्तान में बढ़ती संख्या के बीच तालिबान में घातक हमलों में वृद्धि हुई है।
अफगान सरकार व अमेरिकी प्रशासन दोनों चेतावनी भरे लहजे में तालिबान आतंकवादियों को लड़ाई छोड़ शांति प्रक्रिया में शामिल होने का आह्वान कर रहे हैं, ताकि बातचीत के जरिए देश के संकट का हल निकाला जा सके।
डेली मनडेगर अखबार के प्रधान संपादक पारियानी ने कहा, “काबुल में ताबिलान के शनिवार के घातक हमले का एक अन्य पहलू सुरक्षा संगठनों की सुरक्षा खामियों को उजागर करना और नागरिकों की नजर में सरकार को बदनाम करना भी है।”
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अब्दुल कहर सरवरी ने कहा, “काबुल में शनिवार को हुआ हालिया हमला, जिसमें 100 लोगों की मौत हो गई, सुरक्षा विभाग द्वारा आतंकवादी खतरों की पहचान व उन्हें लक्ष्य तक पहुंचने से पहले रोकने की व्यापक कमजोरी को दिखाता है।”