नई दिल्ली : भारत और फ्रांस के बीच राफेल सौदे पर मुहर लग गई है. इस सौदे पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं. भारत ने बुधवार को ही इस सौदे को मंजूरी दे दी थी. इस सौदे के तहत भारत फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान हासिल करेगा. ये सौदा 7.8 बिलियन यूरो यानि करीब 59 हजार करोड़ का है. आज इस डील पर भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर और फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां यीव ली ड्रियान ने हस्ताक्षर किए.
पिछले 20 साल में यह लड़ाकू विमानों की खरीद का पहला सौदा होगा. इसमें अत्याधुनिक मिसाइल लगे हुए हैं जिससे भारतीय वायु सेना को मजबूती मिलेगी. साल 2018 तक भारत को राफेल विमान मिल जाएंगे.
सरकार ने बुधवार को औपचारिक रूप से समझौते को मंजूरी दी थी जिस पर आज फ्रांस के रक्षा मंत्री की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए.
गौरतलब है कि साल 2007 से भारत-फ्रांस के लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी कर रहा है. लेकिन सौदा किसी ना किसी कारण से अटका हुआ था. लेकिन पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांस की यात्रा के दौरान ऐलान किया कि भारत फ्रांस की सरकार से सीधे 36 फाइटर जेट्स खरीदेगा. यूपीए सरकार के दौरान भारत फ्रांस से 126 विमानों का सौदा करना चाहता था. जिसमें से 36 सीधे राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसाल्ट-एवियशन से खरीदने थे और बाकी 90 भारत में तैयार होने थे. लेकिन, पीएम मोदी ने पुराने सौदे को रद्द कर सीधे फ्रांस सरकार से नई डील कर डाली. पुरानी डील की कीमत करीब 1.20 लाख हजार करोड़ (एक लाख बीस हजार करोड़ रूपये) थी.
प्रधानमंत्री मोदी की फ्रांस में घोषणा के बावजूद नई डील में कई रूकावटें थीं. पहली थी कीमत और दूसरा था ऑफसेट क्लॉज. फ्रांस नई सौदे की कीमत करीब 65 हजार करोड़ चाहता था. फ्रांस 30% प्रतिशत ऑफसेट क्लॉज चाहता था. लेकिन, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर सौदे की कीमत कम कराना चाहते थे और उन्होनें कम भी करा ली.
अब ये सौदा 59 हजार करोड़ में तय हुआ है. फ्रांस 50 % ऑफसेट क्लॉज़ के लिए भी तैयार हो गया है. इस क्लॉज़ के तहत फ्रांस सौदे का 50 प्रतिशत भारत में निवेश करेगा (मिलेट्री-टेक्नालॉजी में). माना जा रहा है कि अगले महीने यानि मई तक सौदे पर हस्ताक्षर हो सकते हैं. लेकिन फ्रांस से रफाल विमान भारत आने में अभी भी कम से कम 18 महीने लगेंगे.