लखनऊ : पीएम नरेंद्र मोदी मंगलवार को लखनऊ में थे, मौका था रावण दहन का. उन्होंने रामलीला के मंच से हर धर्म-जाति में महिलाओं को न्याय दिलाने की वकालत करते हुए महिलाओं को समान अधिकार देने की बात कही. मोदी ने मंच से कहा है कि किसी भी धर्म की बेटी को एक जैसे अधिकार मिलने चाहिए.
मोदी के इस बयान के बाद कांग्रेस का कहना है कि तीन तलाक पर सभी पक्षों से बात होनी चाहिए. कांग्रेस के महासचिव शकील अहमद ने एबीपी न्यूज से बातचीत में ये भी कहा कि इस्लाम में महिलाओं को पहले से ही कई अधिकार मिले हुए हैं.
गौरतलब है कि मोदी ने ये बातें ऐसे वक़्त कहीं है जब पिछले हफ्ते ही सरकार ने तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है और इसे संविधान के खिलाफ बताया है.
सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए सरकार ने कहा है कि संविधान में तीन तलाक की कोई जगह नहीं है. मर्दों की एक से ज्यादा शादी की इजाजत संविधान नहीं देता और तीन तलाक और बहुविवाह इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है.
केंद्र सरकार ने कोर्ट में दलील दी है कि संविधान से हर नागरिक को बराबरी का अधिकार मिला है. इसमें धार्मिक अधिकार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता. मुस्लिम महिलाओं को भी बराबरी का अधिकार है. पर्सनल लॉ को संविधान की कसौटी पर कसना जरूरी है जो प्रावधान संविधान के मुताबिक नहीं हैं उन्हें खत्म करना चाहिए.
तीन तलाक पर सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की थी. बाद में छह मुस्लिम महिलाओं ने भी कोर्ट में याचिका दायर की. पिछले महीने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जवाब दाखिल किया था. पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुनवाई खत्म करने की मांग करते हुए कहा था कि धार्मिक आधार पर बने नियमों को संविधान के आधार पर नहीं परखा जा सकता.
दो सितंबर को दिए जवाब में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दलील दी थी कि, “पत्नी से छुटकारा पाने के लिए पति उसका कत्ल कर दे, इससे बेहतर है कि उसे 3 बार तलाक बोलने दिया जाए.”
पर्सनल लॉ बोर्ड का तर्क था कि पत्नी के रहते दूसरी शादी की इजाज़त से मर्द अवैध संबंध नहीं बनाता या रखैल नहीं रखता.
इसके साथ ही बोर्ड का तर्क था कि पत्नी के बीमार होने या किसी और बात को आधार बना कर पति उसे तलाक दे सकता है. मर्द को दूसरी शादी की इजाजत पहली पत्नी को इससे बचाती है.
बताते चलें कि तीन तलाक दुनिया के कई इस्लामिक देशों में भी बैन है. 1961 से पाकिस्तान में, बांग्लादेश में इसके जन्म के साथ ही 1971 से, 1929 से मिस्त्र में, 1935 से सूडान में और 1953 से सीरिया में तीन तलाक बैन है.