देहरादून : रामायण में जिस संजीवनी बूटी ने कभी दशरथपुत्र लक्ष्मण को नई जिंदगी दी थी उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार उसी संजीवनी बूटी की खोज में जुटी है. संजीवनी बूटी की तलाश के लिए बाकायदा कमेटी बना दी गई है, जो जल्द ही अपना काम शुरू करेगी.
त्रेतायुग में राम-रावण युद्ध के दौरान मेघनाद ने अपनी शक्तियों से लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया था. तब उनके प्राण बचाने के लिए हिमालय के द्रोणागिरी पर्वत से संजीवनी बूटी लाने की सलाह दी गई थी. संजीवनी बूटी लाने का ये जिम्मा पवनपुत्र हनुमान ने उठाया था. हिमालय पहुंचकर हनुमान जब संजीवनी बूटी नहीं खोज पाए तो पूरा का पूरा द्रोणागिरी पर्वत ही वो उठा लिए थे और तब लक्ष्मण के प्राण बचे थे. रामायण काल के उस प्रसंग का जिक्र आज इसलिए क्योंकि हिमालय में छिपी संजीवनी बूटी को खोजने की फिर से कोशिश हो रही है.
उत्तराखंड के आयुष विभाग ने आयुर्वेद के विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित की है जो जल्द ही हिमालय की द्रोणागिरी पहाड़ियों में चमत्कारी संजीवनी बूटी को खोजने का काम शुरू करेगी. उत्तराखंड के आयुष मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी के मुताबिक कमेटी में कुल चार सदस्य शामिल किए गए हैं और अगले महीने से ये कमेटी अपने काम में जुट जाएगी.
दुनिया भर में जड़ी बूटियों और औषधियों की इस समय जबरदस्त डिमांड है और ये कारोबार दिनों दिन तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में उत्तराखंड सरकार का मानना है कि संजीवनी जैसी चमत्कारी बूटी मिलने से इस कारोबार को नया आयाम मिल सकता है.
संजीवनी बूटी की खोज के लिए उत्तराखंड सरकार ने केंद्र की मोदी सरकार से भी मदद मांगी थी लेकिन केंद्र के इनकार के बाद उत्तराखंड सरकार ने खुद ही इस दिशा में आगे बढ़ने का फैसला किया.
उत्तराखंड देश के उन राज्यों में से है जहां जड़ी बूटियों और औषधियों का खजाना छिपा पड़ा है लेकिन कुछ महीने पहले उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग लग गई थी और कई दुर्लभ जड़ी बूटियां भी इस आग में खाक हो गईं. कहा तो यहां तक जाता है कि चमत्कारी संजीवनी बूटी भी सालों पहले विलुप्त हो चुकी है.
खुद उत्तराखंड के आयुष मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ये मान रहे हैं कि आज के समय में हिमालय पर्वत से संजीवनी बूटी को खोज निकालना किसी नामुमिकन काम को मुमकिन बनाने जैसा काम है.